
भोपाल। वित्तीय वर्ष 2024-25 के शुरुआती महीनों में मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर कर्ज लेने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार मई के पहले सप्ताह में 5,000 करोड़ रुपए का नया कर्ज ले रही है। यह ऋण दो किश्तों में भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से लिया जाएगा। ऋण प्रक्रिया 6 मई को पूरी होगी और भुगतान 7 मई को किया जाएगा।
दो किश्तों में लिया जाएगा लंबी अवधि का कर्ज
राज्य वित्त विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, दोनों कर्ज लंबी अवधि के होंगे। पहली किश्त 2,500 करोड़ रुपए की है, जिसकी अवधि 12 वर्ष रखी गई है। यह राशि मई 2037 तक चुकाई जाएगी। दूसरी किश्त भी 2,500 करोड़ रुपए की होगी, जिसे 14 वर्षों की अवधि यानी मई 2039 तक लौटाया जाएगा।
1,025.91 करोड़ है राजस्व अधिशेष
सरकार का दावा है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में मध्य प्रदेश को 12,487.78 करोड़ रुपए का राजस्व अधिशेष प्राप्त हुआ। उस दौरान आय 2,34,026.05 करोड़ रुपए और व्यय 2,21,538.27 करोड़ रुपए रहा। नए वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, सरकार की अनुमानित आय 2,62,009.01 करोड़ और खर्च 2,60,983.10 करोड़ रुपए है, यानी इस बार भी करीब 1,025.91 करोड़ रुपए का अधिशेष बताया गया है।
मार्च में ही लिया गया 20,400 करोड़ का कर्ज
वित्त वर्ष 2023-24 के अंतिम महीने मार्च 2024 में ही सरकार ने रिकॉर्ड 20,400 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। यह किसी एक माह में लिया गया अब तक का सर्वाधिक ऋण है। पूरे पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने कुल 61,400 करोड़ रुपए का कर्ज उठाया, जबकि 2025 के पहले 3 महीनों में ही राज्य सरकार 27 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। अब मई में 5 हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने से इस वर्ष का कर्ज 32,000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।
सिर्फ ब्याज में 29 हजार करोड़ खर्च होगा
विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य सरकार को अगले वित्त वर्ष 2025-26 में सिर्फ ब्याज चुकाने में ही करीब 29 हजार करोड़ रुपए का व्यय करना होगा। यह रकम किसी भी बड़ी विकास योजना के वार्षिक बजट से कहीं ज्यादा है। इससे सरकार की वित्तीय स्थिति और योजनाओं के क्रियान्वयन पर असर पड़ सकता है।
प्रदेश पर कुल कर्ज 4.21 लाख करोड़ से अधिक
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2024 के अंत तक मध्य प्रदेश पर कुल 4.21 लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो चुका है। यह राशि प्रदेश की कुल जीएसडीपी के अनुपात में लगातार बढ़ रही है। हालांकि सरकार का तर्क है कि यह कर्ज विकास कार्यों और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए लिया जा रहा है।
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