पीथमपुर। भोपाल गैस कांड के कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध तेज हो गया है। सुबह से लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। आज पूरा पीथमपुर बंद है। लोगों ने अपनी दुकानों को बंद रखा है। आंदोलनकारियों ने बस स्टैंड इलाके में जाम लगा रखा है। इतना ही नही कचरा जलाए जाने के विरोध में आंदोलन कर रहे दो युवकों ने आत्मदाह की कोशिश की। उन्होनें खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। ऐसे में पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। वहीं घायल हुए दोनों युवको को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया।
कचरा पीथमपुर पहुंचते ही भड़के लोग
बता दें कि भोपाल से पीथमपुर में कचरा आने के बाद से ही लोग आंदोलन कर है। पुलिस, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की समझाइश का भी जनता पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आ रहा है। सभी संगठन, संस्थाएं एक मंच पर आकर इसका विरोध कर रही हैं। इंदौर से कई संस्थाओं और सामाजिक संगठनों के लोग पीथमपुर गए। वहीं बड़ी संख्या में इंदौर में भी लोग इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मजदूर संघ, किसान संघ, रहवासी संघ और कई संस्थाएं पीथमपुर जाकर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं।
सीएम की अपील का नहीं दिखा असर
सीएम मोहन यादव भी विरोध कर रहे लोगों को संतुष्ट करने का प्रयास कर चुके है लेकिन उसका भी कोई असर लोगो पर नहीं दिखाई दिया। भोपाल से इंदौर आए 337 टन विषैले कचरे को लेकर जारी विरोध के बीच इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में भी एक बैठक हुई थी। उन्होंने कहा कि हमें भी शहर की चिंता है। रातभर हमने सरकार को सोने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जहरीले कचरे से जनता भयग्रस्त न हो, शंका का समाधान जरूरी है। उन्होंने सभी से बात की लेकिन उनकी बात से भी आंदोलन पर खासा असर नहीं पड़ा। सुबह होते ही लाखों लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए निकल गए।
40 साल बाद, यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकला कचरा
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5 हजार से अधिक लोगो की मौत हो गई थी और हजारों लोग अभी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 3 दिसंबर को इस कारखाने के जहरीले कचरे को खाली करने के लिए चार सप्ताह की समय-सीमा तय की थी और सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया, तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी। इसके बाद ये तय हुआ की कचरे को तीन महीने के भीतर जला दिया जाएगा। इसी को देखते हुए कचरा पीथमपुर पहुंचा जिसके बाद कचरा पीथमपुर में जलाने का विरोध शुरू हुआ।
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