
भोपाल। खुशियों की असली परिभाषा क्या है? शायद ये सवाल हर किसी के जीवन में आता है। अक्सर हम इसे भौतिक चीजों, सुविधा और सफलता से जोड़कर देखते हैं। लेकिन असली खुशियां तो किसी मासूम चेहरे पर मुस्कान लाने में है, मिट्टी की सौंधी खुशबू में है, साझा करने और अपनाने में है। कुछ ऐसा ही खूबसूरत अनुभव भोपाल के ज्योति सिनेप्लेक्स में देखने को मिला, जब हर हेल्थ हॉस्पिटल टीम और हर्षणी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन ने मिलकर 100 से अधिक डाउन सिंड्रोम और वंचित बच्चों के साथ एक दिन खुशियों का सिनेमा साझा किया।
“सितारे जमीन पर” फिल्म बनी बच्चों के लिए प्रेरणा
हर हेल्थ की डॉक्टर प्रिया भावे के मार्गदर्शन में बच्चों को फिल्म “सितारे जमीन पर” दिखाई गई। इस फिल्म में सीख, संवेदना और आत्म-स्वीकृति का भाव है, जो विशेष बच्चों और उनके परिजनों के लिए प्रेरणादायी है। बच्चों के साथ उनके परिवारजन भी इस अवसर पर मौजूद थे।
डाउन सिंड्रोम बच्ची सायना ने किया नेतृत्व
कार्यक्रम की सबसे खास बात यह रही कि इस टीम का नेतृत्व सायना ने किया- जो खुद एक डाउन सिंड्रोम बच्ची है। सायना ने इस आयोजन को बेहद आत्मीयता से संभाला और अपने आत्मविश्वास से सभी को भावविभोर कर दिया।
शिक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में कदम
हर्षणी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन की नेहा मामतानी जी के नेतृत्व में यह संस्था वंचित और झुग्गी-बस्ती में रहने वाले बच्चों को शिक्षा और अवसर उपलब्ध कराने के लिए समर्पित है। उनका कहना है कि “इन बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना ही हमारा मकसद है। सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समझ और चेतना का माध्यम भी है।”
खुशियों को बांटने से ही वे बढ़ती हैं
इस आयोजन के जरिए डॉक्टरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षकों ने यह संदेश दिया कि विशेष बच्चों को सिर्फ सहानुभूति नहीं, समानता और सम्मान चाहिए। एक दिन का यह अनुभव बच्चों के जीवन में नई ऊर्जा भर गया।
क्या बोले प्रतिभागी और अभिभावक?
संगीता (एक बच्चे की मां): पहली बार मेरे बेटे ने खुद को किसी हीरो जैसा महसूस किया। वह पूरी फिल्म में खुश रहा।
सायना (लीडर): मैंने सबको संभाला, मुझे अच्छा लगा, मैं खुश हूं।
डॉ. प्रिया भावे: बच्चों के साथ सिनेमा देखना हमारे लिए भी एक सीख है- संवेदनशील बनने की।
भविष्य में और ऐसे कार्यक्रम होंगे
हर हेल्थ और हर्षणी फाउंडेशन ने भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों को जारी रखने का संकल्प लिया है, जिससे इन बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाया जा सके और उनका आत्मविश्वास बढ़ाया जा सके।