
भोपाल। शहर के बड़ा तालाब स्थित 3 EME प्रशिक्षण केंद्र, खानूगांव में शुक्रवार को भारतीय सेना के नेतृत्व में बाढ़ राहत और खोज-बचाव कार्यों की मॉक ड्रिल की शुरूआत हुई। इस अभ्यास में सेना के साथ NDRF, SDRF और गृह विभाग की टीमें शामिल रहीं। सुबह 10:45 बजे शुरू हुई यह ड्रिल स्थानीय नागरिकों और अधिकारियों के लिए आपदा के समय रेस्क्यू ऑपरेशन की तैयारियों को देखने का वास्तविक अवसर बन गई।
SDRF ने दिखाया रेस्क्यू का प्रदर्शन
डेमोंस्ट्रेशन की शुरुआत SDRF की रेस्क्यू यूनिट से हुई, जिसमें बाढ़ जैसी परिस्थिति का जीवंत चित्रण करते हुए पानी में फंसे लोगों को बोट के माध्यम से सुरक्षित बाहर निकाला गया। SDRF की टीम ने दिखाया कि किस प्रकार वायरलेस और मोबाइल कम्युनिकेशन का इस्तेमाल करते हुए टीम समन्वय से तेजी से एक्शन लेती है।
NDRF डाइवर्स का लाइव एक्शन
ड्रिल का सबसे रोमांचक और तकनीकी हिस्सा रहा NDRF के प्रशिक्षित गोताखोरों का लाइव रेस्क्यू ऑपरेशन। इसमें यह प्रदर्शित किया गया कि किसी व्यक्ति के पानी में डूब जाने पर किस तरह से प्रोफेशनल डाइवर्स उसकी खोज करते हैं और जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में भी उसे बाहर निकालते हैं। गहरे पानी में फंसे एक युवक की रेस्क्यू प्रक्रिया को असली जैसी परिस्थितियों में प्रस्तुत किया गया।
रेस्क्यू बोट्स की भूमिका को समझाया
रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रयोग की जाने वाली सभी प्रमुख प्रकार की बोट्स- रिलीफ बोट, सेफ्टी बोट, और रेस्क्यू बोट मौजूद थीं। इन बोट्स की कार्यप्रणाली और उपयोग की स्थिति को अलग-अलग डेमो के माध्यम से समझाया गया। एक विशेष प्रदर्शन में इन बोट्स की मदद से तालाब के बीच फंसे एक युवक को संयुक्त रूप से SDRF, NDRF और सेना के जवानों ने रेस्क्यू किया।
टीमों के बीच समन्वय बना विशेषता
ड्रिल का प्रमुख उद्देश्य न केवल रेस्क्यू करना बल्कि एजेंसियों के बीच समन्वय और संचार को दर्शाना भी था। मॉक अभ्यास में यह दिखाया गया कि वायरलेस, मोबाइल कॉल, और सिग्नल के माध्यम से किस प्रकार टीमों के बीच रियल टाइम कम्युनिकेशन स्थापित होता है और कैसे सभी इकाइयां एकजुट होकर किसी भी आपदा की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहती हैं।
भोपालवासियों में बढ़ा विश्वास
इस संयुक्त अभ्यास ने आम लोगों के मन में आपदा के समय राहत एजेंसियों की तैयारी को लेकर विश्वास बढ़ाया है। सेना, NDRF, SDRF और गृह विभाग की संयुक्त भागीदारी और कुशल समन्वय ने यह साफ कर दिया कि भोपाल जैसे महानगरों में आपदा से निपटने की पूरी व्यवस्था है और सभी एजेंसियां हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।