
नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की एमयूडीए मामले में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेकर कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) प्रकरण में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। ईडी ने मुख्यमंत्री के खिलाफ एनफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (ECIR) के तहत कार्रवाई की है, जो पुलिस की प्राथमिकी के समान होती है।
27 सितंबर को लोकायुक्त ने की FIR
हाल ही में मैसूरु स्थित लोकायुक्त पुलिस ने 27 सितंबर को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। जिसमें सिद्धारमैया, उनकी पत्नी बीएम पार्वती, साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू को नामजद किया गया है। आरोप है कि स्वामी ने देवराजू से जमीन खरीदकर उसे पार्वती को उपहार में दिया था। इस प्रकरण में सिद्धारमैया पर उनकी पत्नी को 14 भूखंडों के आवंटन में अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं।
पिछले हफ्ते बेंगलुरु की विशेष अदालत ने लोकायुक्त पुलिस को इस मामले में जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हाईकोर्ट ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा सिद्धारमैया के खिलाफ शिकायत की जांच की मंजूरी को भी बरकरार रखा था।
ईडी ने लगाई पीएमएलए की धाराएं
ईडी ने इस मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराएं लगाई हैं। लोकायुक्त द्वारा दर्ज प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत की गई है, जिसमें आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, और अन्य गंभीर आरोप शामिल हैं। ईडी अब आरोपियों को पूछताछ के लिए बुला सकती है और जांच के दौरान उनकी संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार भी रखती है।
सिद्धारमैया का बयान
सिद्धारमैया ने इस मामले को राजनीतिक हमला बताते हुए कहा कि यह उनके खिलाफ पहला ऐसा मामला है। उन्हें एमयूडीए मामले में निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि विपक्ष उनसे “डरा हुआ” है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे कानूनी प्रक्रिया के तहत अपनी निर्दोषता साबित करेंगे और इस्तीफा नहीं देंगे।
क्या है पूरा मामला
ये योजना कर्नाटक में पिछली भाजपा में बनी और वर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान लागू की गई थी। भूमि आवंटन घोटाला सुर्खियों इसलिए आया, क्योंकि कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की पत्नी 2021 में MUDA की इस स्कीम में एक लाभार्थी थीं। उस समय मैसूर के प्रमुख स्थानों में 38,284 वर्ग फुट भूमि उन्हें उनकी 3.16 एकड़ जमीन के कथित अवैध अधिग्रहण के मुआवजे के रूप में आवंटित की गई थी।
मैसूर के केसारे गांव में उनकी 3.16 एकड़ जमीन उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें उपहार में दी थी। दक्षिण मैसूर में एक प्रमुख इलाके में उन्हें मुआवजे के तौर पर जमीन दी गई। आरोप है कि केसर गांव की जमीन की तुलना में इसकी कीमत काफी अधिक है। इसकी वजह से मुआवजे की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।
स्कीम के तहत, मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) किसी भूमि पर आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए भूमि अधिग्रहण कर सकेगी। अधिग्रहण के बदले लैंड ओनर्स को 50% जमीन किसी विकसित लोकेशन पर दी जाएगी। लेकिन इस स्कीम पर बढ़ते विवाद के चलते 2023 में शहरी विकास मंत्री बैराठी सुरेश ने इसे वापस ले लिया था।