राष्ट्रीय

सारागढ़ी दिवस: 10,000 अफगान हमलावरों का 21 सिख सैनिकों ने किया था डटकर मुकाबल, महारानी विक्टोरिया ने सभी को इंडियन ऑर्डर ऑफ मैरिट से किया था सम्मानित

नई दिल्ली। 12 सितंबर सन 1897 का वो दिन कौन ही भूल सकता है, जब हजारों अफगान हमलावरों पर 21 सिख भारी पड़ गए थे। सारागढ़ी के इस युद्ध में 36 सिख रेजिमेंट के 21 सैनिकों ने करीब 10,000 अफगान हमलावरों का डटकर सामना किया था। जब महारानी विक्टोरिया को इसकी खबर मिली तो उन्होंने सभी 21 सैनिकों को इंडियन ऑर्डर ऑफ मैरिट देने का एलान किया। ये उस समय तक भारतियों को मिलने वाला सबसे बड़ा वीरता पदक था जो तब के विक्टोरिया क्रॉस और आज के परमवीर चक्र के बराबर था। तब तक विक्टोरिया क्रास सिर्फ अंग्रेज सैनिकों को ही मिल सकता था और वो भी सिर्फ जीवित सैनिकों को मिलता था। 1911 में जा कर जॉर्ज पंचम ने पहली बार घोषणा की कि भारतीय सैनिक भी विक्टोरिया क्रॉस जीतने के हकदार होंगे। इस युद्ध पर फिल्म भी बन चुकी है। 2019 में आई अक्षय कुमार की केसरी फिल्म इसी युद्ध पर आधारित है।

Battle of saragarhi where 21 sikh soldiers killed 600 afghans
इस युद्ध पर आधारित 2019 में आई अक्षय कुमार की फिल्म केसरी

तिराह क्षेत्र में थे अंग्रेजों के 2 किले

युद्ध 12 सितंबर, 1897 को तिराह क्षेत्र में हुआ था। तिराह नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस का हिस्सा था जो अब पाकिस्तान में है। करीब 6 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस इलाके में अंग्रेजों के 2 किले थे। इन किलों के बीच में सारागढ़ी की चौकी थी। सारागढ़ी की चौकी ब्रिटिश इंडिया के लॉकहार्ट और गुलिस्तान किलों को अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों से जोड़ती थी। अफगानी सैनिक इस चौकी पर अकसर हमला करते रहते थे।

Battle of saragarhi where 21 sikh soldiers killed 600 afghans
सारागढ़ी चौकी

सारागढ़ी की चौकी पर पठान अक्सर करते थे हमला

स्थानीय पठान लोगों को अपने इलाके में अंग्रेजों की घुसपैठ पसंद नहीं आई थी। अंग्रेजों को भगाने के लिए वे इन किलों पर हमले करते थे। वहीं अंग्रेजों ने लेफ्टिनेंट कर्नल जॉन हॉटन के नेतृत्व में 36 सिख रेजीमेंट की पांच कंपनियों को इस इलाके में तैनात कर रखा था। जिसकी कमांड हवलदार ईशर सिंह और 20 दूसरे जवानों के जिम्मे थी।

Battle of saragarhi where 21 sikh soldiers killed 600 afghans
सिख सैनिक

सैनिकों ने नहीं किया आत्मसमर्पण

सारागढ़ी चौकी पर जब अफगान हमलावरों का हमला हुआ तो उनकी संख्या करीब 10,000 थी। इन हजारों पठानों से निपटने के लिए चौकी में 21 सिख जवान मौजूद थे। चौकी की रक्षा के लिए तैनात सिख सैनिकों ने पीछे हटने की बजाय अफगान सैनिकों का सामना करने का फैसला किया। पूरा इलाका- ‘बोले सो निहाल, सतश्री अकाल’ के नारे से गूंज उठा। वहीं हजारों की तादाद में पठानों को देखकर सैनिकों ने इसकी सूचना कर्नल हॉटन को दी। उन्होंने कहा कि वे इतने कम समय में कोई मदद नहीं पहुंचा पाएंगे। हॉटन उस समय लॉक्हार्ट के किले में थे।

Battle of saragarhi where 21 sikh soldiers killed 600 afghans
सारागढ़ी की चौकी पर तैनात 21 सिख सैनिक

दीवार तोड़कर अंदर घुसे पठान

सारागढ़ी में जो सैन्य टुकड़ी तैनात थी, उसमें एक एनसीओ (नॉन कमिशंड ऑफिसर) और 20 ओआर (अन्य रैंक) थे। करीब 476 सैनिकों पर 1 सिख सैनिक। चौकी पर मिट्टी की दीवार थी। सिख सैनिक जानते थे कि अफगान हमलावरों को दीवार ज्यादा देर तक नहीं रोक पाएगी। यूनिट की कमान ईशर सिंह के हाथों में थी। जब तक दीवार गिरी 21 सैनिकों ने 2 बार पठानों को पीछे खिसकने पर मजबूर कर दिया। पठान किले के भीतर घुसने में कामयाब नहीं हो पाए। जिसके बाद पठानों ने किले की दीवार को तोड़कर अंदर घुसने का फैसला किया। सिखों के पास गोलियां खत्म हो गईं तो उन्होंने अपनी राइफलों में लगे संगीन से हमला करना शुरू कर दिया।

Battle of saragarhi where 21 sikh soldiers killed 600 afghans

21 सैनिकों ने 600 से ज्यादा पठानों को मार गिराया

चौकी से थोड़ी दूर से कर्नल हॉटन अफगानियों को सारागढ़ी पर हमला करते देख रहे थे। सिखों ने अफगान को चौकी का गेट नहीं खोलने दिया। इससे आक्रोशित होकर अफगान हमलावरों ने दीवार तोड़ दी और अंदर घुस गए। लौकहार्ट के किले में बैठा कर्नल हॉटन सिखों का सिर्फ युद्धघोष ‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल’ सुन सकता था। करीब 6 घंटे तक चले युद्ध में 21 सैनिकों ने 600 से ज्यादा पठानों को मार गिराया। किले पर पठानों ने कब्जा कर लिया था। लेकिन जब तक सिख अफगानों का मुकाबला करते रहे, उस दौरान कर्नल हॉटन को समय मिल गया और मदद के लिए सेना बुला ली। 1 दिन बाद ही अंग्रेजों ने पठानों से किले को वापस छुड़ा लिया।

Battle of saragarhi where 21 sikh soldiers killed 600 afghans
सारागढ़ी के सैनिकों की याद में अमृतसर में बनाया गया गुरुद्वारा।

पूरी यूनिट को सम्मानित किया गया

कर्नल हॉटन ने युद्ध के बाद इसकी पूरी कहानी ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सीनियर अफसरों को सुनाई। सभी 21 सैनिकों को सम्मानित किया गया। यह इतिहास में पहली बार था जब मात्र एक युद्ध के लिए किसी यूनिट के हर सैनिक को वीरता पुरस्कार से नवाजा गया हो। अब भी इस युद्ध के याद में हर साल 12 सितंबर को सारागढ़ी दिवस मनाया जाता है।

Battle of saragarhi where 21 sikh soldiers killed 600 afghans
21 सिख सैनिकों को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार

ब्रिटिश संसद ने खड़े होकर किया 21 सैनिकों का सम्मान

इस लड़ाई को दुनिया के सबसे बड़े ‘लास्ट स्टैंड्स’ में जगह दी गई। जब इन सिखों के बलिदान की ख़बर लंदन पहुंची तो उस समय ब्रिटिश संसद का सत्र चल रहा था। सभी सदस्यों ने खड़े हो कर इन 21 सैनिकों को ‘स्टैंडिंग ओवेशन’ दिया। ‘लंदन गजेट’ के 11 फरवरी, 1898 के अंक 26937 के पृष्ठ 863 पर ब्रिटिश संसद की टिप्पणी छपी, “सारे ब्रिटेन और भारत को 36 सिख रेजिमेंट के इन सैनिकों पर गर्व है। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि जिस सेना में सिख सिपाही लड़ रहे हों, उन्हें कोई नहीं हरा सकता।”

संबंधित खबरें...

Back to top button