
तेहरान/तेल अवीव। अमेरिका ने रविवार सुबह भारतीय समयानुसार करीब 4:30 बजे ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्सपर बड़ा हवाई हमला किया। इनमें फोर्डो, नतांज और इस्फहान शामिल हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि फोर्डो साइट पर सबसे ज्यादा बमबारी की गई, और सभी अमेरिकी विमान सुरक्षित लौट आए।
ट्रंप ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “ईरान की अहम न्यूक्लियर साइट्स पूरी तरह से तबाह कर दी गई हैं। अब वक्त है शांति का। अगर ईरान नहीं रुका, तो इससे बड़ा हमला होगा।”
किन ठिकानों को बनाया गया निशाना?
- फोर्डो एनरिचमेंट प्लांट
- यह साइट ईरान की एक पहाड़ी के नीचे, 90 मीटर गहराई में स्थित है।
- यूरेनियम संवर्धन के लिए उपयोग में ली जाती है।
- इसे अमेरिकी GBU-57 बंकर बस्टर बम और B-2 स्टेल्थ विमानों से निशाना बनाया गया।
- नतांज एटॉमिक फैसिलिटी
- यहां लगभग 9 परमाणु बम बनाने लायक यूरेनियम मौजूद बताया गया।
- इसमें एडवांस सेंट्रीफ्यूज लगे हैं जो यूरेनियम-235 की शुद्धता बढ़ाते हैं।
- इजराइली प्रधानमंत्री इसे ‘ईरान का सबसे बड़ा परमाणु खतरा’ कह चुके हैं।
- इस्फहान टेक्नोलॉजी सेंटर
- यह यूरेनियम कन्वर्जन प्लांट है जहां कच्चे यूरेनियम को गैस में बदला जाता है।
- यहां एक बड़ा एयरबेस और हथियार निर्माण कारखाने भी हैं।
- इजराइल ने 13 जून को यहां ड्रोन हमले किए थे।
नेतन्याहू बोले- इतिहास बदलने वाला हमला
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले पर खुशी जताते हुए कहा, “यह इतिहास बदलने वाला कदम है। ट्रंप ने जो किया, वह कोई और देश नहीं कर सकता। ईरान अब परमाणु हथियार नहीं बना सकेगा।” उन्होंने इस ऑपरेशन को ‘राइजिंग लॉयन’ बताया।
अमेरिका बोला- ईरान पूरे क्षेत्र के लिए खतरा
राष्ट्रपति ट्रंप ने साफ कहा, “ईरान सिर्फ इजराइल नहीं, अमेरिका के लिए भी खतरा है। पिछले 40 साल से वह अमेरिका के खिलाफ जहर उगलता रहा है।” उन्होंने कहा कि अमेरिका की सेना ने एक शानदार सैन्य अभियान को अंजाम दिया और दुनिया को परमाणु खतरे से बचाया।
ईरान का पलटवार- अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन
ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (AEOI) ने अमेरिका के इस हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का सीधा उल्लंघन बताया है। उनका दावा है कि ये सभी साइट्स अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में थे। ईरान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ‘जंगल के कानून’ जैसी कार्रवाई की निंदा करने की अपील की है।
ईरानी मीडिया का दावा है कि “आसपास के नागरिक इलाकों को कोई खतरा नहीं है, लेकिन अब हर अमेरिकी सैनिक और नागरिक ईरान के निशाने पर है।”
संघर्ष के 10 दिन: ईरान में 657, इजराइल में 24 की मौत
13 जून से शुरू हुए संघर्ष के बाद अब तक ईरान में 657 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, इजराइल में 24 लोग मारे गए और करीब 900 घायल हुए हैं। इजराइल में स्कूल, दफ्तर और सभी सार्वजनिक कार्यक्रम अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता, शांति की अपील
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस संघर्ष को खतरनाक मोड़ पर बताते हुए चेतावनी दी कि यह युद्ध नियंत्रण से बाहर जा सकता है। उन्होंने कहा, “इस संकट का कोई सैन्य समाधान नहीं है, बातचीत ही आगे का रास्ता है।”
अमेरिका में मिली-जुली प्रतिक्रिया
अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने ट्रंप के फैसले की तारीफ करते हुए कहा, “यह बिल्कुल सही फैसला था। Fly, Fight, Win.” इजराइल के पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने भी कहा कि दुनिया अब पहले से ज्यादा सुरक्षित है।
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