
पहलगाम। अमरनाथ यात्रा 2025 की शुरुआत 3 जुलाई को हुई थी और महज चार दिन में 50,000 से ज्यादा श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं। श्रद्धालुओं का उत्साह बारिश और कठिन रास्तों के बावजूद कम नहीं हुआ है। 38 दिन चलने वाली यह यात्रा इस बार 9 अगस्त, रक्षाबंधन के दिन संपन्न होगी।
श्रद्धालुओं का पांचवां जत्था रवाना
रविवार को 7502 श्रद्धालुओं का पांचवां जत्था जम्मू से पहलगाम और बालटाल रूट के लिए रवाना हुआ। इस जत्थे में 5973 पुरुष, 1169 महिलाएं, 34 बच्चे, 310 साधु और 16 साध्वियां शामिल थीं। अब तक जम्मू के भगवती नगर आधार शिविर से कुल 31,736 यात्री घाटी की ओर प्रस्थान कर चुके हैं।
हर 50 मीटर पर तैनात जवान
श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए यात्रा मार्ग पर 581 सुरक्षा कंपनियों को तैनात किया गया है। इसमें CRPF, BSF, SSB, CISF, IBTP और जम्मू-कश्मीर पुलिस शामिल है। बालटाल से गुफा तक हर 50 मीटर पर सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं। मेडिकल कैंप हर 2 किलोमीटर पर लगाए गए हैं और RFID टैग से यात्रियों की निगरानी की जा रही है।
पहलगाम और बालटाल: दोनों रूटों की विशेषताएं
पहलगाम रूट
कुल दूरी: 48 किमी
दिन: लगभग 3-4
रास्ता: प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, पर ज्यादा थका देने वाला
पड़ाव: चंदनवाड़ी → पिस्सू टॉप → शेषनाग → पंचतरणी → गुफा
बालटाल रूट
कुल दूरी: 14 किमी
दिन: 1-2
रास्ता: खड़ी चढ़ाई और संकरी पगडंडी, बुजुर्गों के लिए कठिन
उपयुक्त: समय कम होने पर उपयुक्त विकल्प
पंजीकरण का आंकड़ा 3.5 लाख पार
अब तक अमरनाथ यात्रा के लिए 3.5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। जम्मू में सरस्वती धाम, वैष्णवी धाम, पंचायत भवन और महाजन सभा में रजिस्ट्रेशन केंद्रों पर हर दिन 2000 श्रद्धालुओं का पंजीकरण हो रहा है। मौके पर 12 काउंटर और 34 आवासीय केंद्र भी तैयार किए गए हैं।
गुफा की बनावट और शिवलिंग का रहस्य
अमरनाथ गुफा समुद्र तल से 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह चूना पत्थर और जिप्सम से बनी है, जिसकी लंबाई 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर और ऊंचाई 11 मीटर है। गुफा में प्राकृतिक रूप से बनने वाला हिम शिवलिंग स्टैलेग्माइट संरचना है, जो तापमान और बर्फबारी के अनुसार आकार लेता है। इसके साथ माता पार्वती और भगवान गणेश के प्रतीक दो छोटी बर्फ की आकृतियां भी बनती हैं।
तीर्थयात्रियों के लिए जरूरी सुझाव
- मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट, आधार, 4 फोटो और रजिस्ट्रेशन फॉर्म साथ रखें।
- हर दिन 4-5 किमी पैदल चलने की प्रैक्टिस करें।
- ऊनी कपड़े, रेनकोट, पानी की बोतल, दवाएं और ट्रैकिंग स्टिक रखें।
- प्राणायाम और हल्की एक्सरसाइज से शारीरिक तैयारी करें।
यात्रा के इतिहास में आतंकी हमले भी शामिल
1990 से 2017 के बीच अमरनाथ यात्रा पर 36 आतंकी हमले हो चुके हैं जिनमें 53 श्रद्धालुओं की जान गई और 167 घायल हुए। सबसे बड़ा हमला 1 अगस्त 2000 को पहलगाम में हुआ था, जिसमें 35 लोग मारे गए थे। सुरक्षा एजेंसियां इस बार यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए कड़े कदम उठा रही हैं।