Aakash Waghmare
22 Nov 2025
Manisha Dhanwani
22 Nov 2025
Manisha Dhanwani
22 Nov 2025
Aakash Waghmare
22 Nov 2025
नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। किरेन रिजिजू के एक बयान के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भारत के अल्पसंख्यक अब दूसरे दर्जे के नागरिक भी नहीं रहे, बल्कि हमें तो जैसे बंधक बना दिए गया हैं।
दरअसल, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने एक्स पर लिखा था कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से ज्यादा सुविधाएं और सुरक्षा मिलती है। इसके जवाब में ओवैसी ने केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू पर तंज कसते हुए कहा, वह भारत के मंत्री हैं कोई राजा नहीं है। वह संवैधानिक पद पर बैठे हैं, किसी सिंहासन पर नहीं बैठे हैं।
उन्होंने कहा, अल्पसंख्यकों को अधिकार खैरात में नहीं मिला है, बल्कि संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार से मिला है। हर दिन हमें पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी या रोहिंग्या कहकर बुलाया जाना क्या कोई सुविधा है।
इसके बाद रिजिजू ने जबाब देते हुए पूछा, ठीक है फिर हमारे पड़ोसी देशों से अल्पसंख्यक भारत आना क्यों पसंद करते हैं और हमारे अल्पसंख्यक पलायन क्यों नहीं करते। पीएम मोदी की योजनाएं सभी के लिए लाभदायक हैं।
ओवैसी ने कहा कि मंत्री रिजिजू के अनुसार, अगर अल्पसंख्यकों पलायन नहीं करते हैं, तो इसका मतलब है कि हम खुश हैं। दरअसल, हमें पलायन करने की आदत नहीं है। हम अंग्रेजों से नहीं भागे, हम विभाजन के दौरान नहीं भागे और हम जम्मू, नेल्ली, गुजरात, मुरादाबाद, दिल्ली जैसे दंगो से नहीं भागे। हम अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ना जानते हैं। हमारे महान राष्ट्र की तुलना पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल और श्रीलंका जैसे असफल राज्यों से करना बंद करें।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा वक्फ में गैर मुस्लिमों को क्यों नियुक्त किया है और उन्हें बहुमत भी दे दी गई है। वहीं, मुस्लिम छात्रवृत्तियों को रोका दिया है। पोस्ट-मैट्रिक और मेरिट-कम-मीन्स स्कॉलरशिप को सीमित कर दिया क्योंकि इनसे मुस्लिम छात्रों को मदद मिल रही थी। बहुसंख्यकों से हम बस वही मांग रहे हैं, जो संविधान ने हमें वादा किया है सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय। भारतीय मुस्लिम अब वह इकलौता समुदाय हैं, जिनके बच्चों की हालत उनके माता-पिता या दादा-दादी से भी खराब हो गई है। पीढ़ियों के बीच तरक्की की रफ्तार उलटी हो गई है।