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एआई डेथ कैलकुलेटर बताएगा मौत की तारीख, हेल्थ का भी देगा अपडेट

लैंसेट डिजिटल हेल्थ का दावा- ब्रिटेन में तैयार हो रही तकनीक

लंदन। आज के समय में विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब वो इंसान के मरने का सही समय भी बता पाने की क्षमता को विकसित करने में लगा है। लैंसेट डिजिटल हेल्थ में हाल ही में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक एआई डेथ कैलकुलेटर के जरिए इंसान की मौत के सही समय का अंदाजा लगाया जा सकता है। यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए इंसान के मौत का समय या रिस्क गिना जा सकता है। उसका अंदाजा लगाया जा सकता है। स्टडी के मुताबिक इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों और मौत के समय का अनुमान लगाने में सहायक हो सकते हैं।

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) से संबंधित दो अस्पताल इस कैलकुलेटर का ट्रायल जल्द शुरू करने वाले हैं। असल में इस डेथ कैलकुलेटर का पूरा नाम एआई-ईसीजी रिस्क एस्टीमेटर (एआईआरई) है। यह इंसान के हार्ट फेल होने की भविष्यवाणी करेगा, यानी उस समय की गणना करेगा, जब इंसान का दिल खून पंप नहीं करेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि दिल जैसे ही खून को पंप करना बंद करता है, शरीर में कई तरह की दिक्कतें होने लगती हैं। इससे मौत हो जाती है। 10 में से 8 मामलों में ऐसा ही होता है।

कैसे काम करेगा यह कैलकुलेटर

  • स्टडी में बताया गया है कि इसे बनाने वाली टीम ने इस कैलकुलेटर को 1,89,539 मरीजों की ईसीजी रिपोर्ट के अनुसार ट्रेनिंग दी है।
  • इन मरीजों के कुल 11.60 लाख ईसीजी रिपोर्ट के डेटा इस कैलकुलेटर में भरे गए हैं।
  • 76 फीसदी मामलों में दिल के धड़कने की दर में समस्या पाई गई, जिससे भविष्य में दिल के दौरे या बीमारियां होने की आशंका रहती है।
  • पतली नलियां, खून के बहाव में दिक्कत जैसी समस्या हर 10 में से सात मरीज को रहती है।

सैकड़ों ब्रिटिश नागरिक ट्रायल में होंगे शामिल

स्टडी के मुताबिक एआई-ईसीजी रिस्क एस्टीमेटर (एआईआरई) प्लेटफॉर्म बनाने के पीछे का मकसद ये है कि पहले से जो एआई-ईसीजी अप्रोच है, उसे बदला जाए, क्योंकि पुराने तरीकों में सीमाएं बहुत थीं। जब से इस कैलकुलेटर के बारे में ब्रिटिश लोगों को पता चला है, तो सैकड़ों ने अस्पतालों में जाकर एप्लीकेशन देना शुरू कर दिया है, ताकि ट्रायल में उन्हें शामिल किया जा सके।

इसलिए प्रभावशाली तकनीक

  • एआई-ईसीजी रिस्क एस्टीमेटर (एआईआरई) का प्रभावशाली पहलू यह है कि यह व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर को ऊंचा करने में मददगार है।
  • अगर किसी मरीज को विशेष हृदय संबंधी समस्या होने का खतरा बताया जाता है, तो समय रहते इसे रोका जा सकता है।
  • एआईआरई न केवल भविष्यवाणी करता है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं का भी सटीक अनुमान लगाता है, जो व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार लाने में काफी सहायक हो सकता है।

दिल कैसा कर रहा काम, तुरंत एआई बता देगा, सेहत का भी खोलेगा राज

टेस्ट में कुछ मिनटों में यह पता चल जाएगा कि इंसान के दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी कैसी है, साथ ही छिपी हुई सेहत संबंधी दिक्कतें क्या हैं, जो आसानी से किसी डॉक्टर को पता नहीं चलतीं। ट्रायल के बाद इंसान को यह पता चल जाएगा कि अगले 10 साल में उसकी मौत होगी या नहीं, वह भी 78% सटीकता के साथ। यह भी पता चलेगा कि भविष्य में कोई भयानक बीमारी तो नहीं होने वाली, जिससे मौत के चांस बढ़ते हों या मौत होती हो, जिसके बारे में अभी तक पता भी न चला हो।

पांच साल में ब्रिटेन में इस्तेमाल होने लगेगी तकनीक : अगले साल के मध्य से लंदन के दो अस्पतालों में इसका ट्रायल शुरू होगा, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसका इस्तेमाल अगले पांच साल में पूरे देश में होने लगेगा।

हेल्थ सेक्टर में एआई की भूमिका और मजबूत होगी : इस स्टडी के परिणामों ने चिकित्सकों और रिसर्चर्स को ये उम्मीद दिलाई है कि आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवाओं में एआई की भूमिका और मजबूत होगी।

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