
अहमदाबाद। 12 जून की दोपहर ने अहमदाबाद शहर को दहला दिया। दोपहर 1:39 बजे, एयर इंडिया की अंतरराष्ट्रीय उड़ान संख्या AI-171 अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई थी, लेकिन टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद क्रैश हो गई। प्लेन सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरकर जैसे ही आगे बढ़ा, वह नियंत्रण खोकर बीजे मेडिकल कॉलेज एंड सिविल हॉस्पिटल के हॉस्टल की इमारत से जा टकराया। इस दर्दनाक हादसे में कुल 242 में से 241 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई। पीपुल्स अपडेट की टीम ग्राउंड जीरो पर है। वहां प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जब यह प्लेन क्रैश हादसा हुआ तब वहां का मंजर क्या था?
धमाके से दहला इलाका, लगा जैसे मौत सामने खड़ी हो
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने ऐसा मंजर जीवन में पहले कभी नहीं देखा। धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास की इमारतें कांप उठीं। यशराज चावड़ा हॉस्पिटल के पास ही बापा सीताराम सोडा की दुकान चलाते हैं। उन्होंने कहा, “धमाका इतना जोरदार था कि लगा जैसे आसमान फट गया हो। पहले हमें लगा कि कहीं सिलेंडर फट गया है। लेकिन जैसे ही बाहर निकले, देखा कि आसमान में धुएं का काला गुबार छाया हुआ है। बाद में पता चला कि एक प्लेन हॉस्टल की बिल्डिंग से टकरा गया है। दृश्य इतना भयानक था कि आज भी आंखों के सामने है। रोंगटे खड़े हो जाते हैं।”
कुछ सेकंड का फर्क और रिहायशी इलाका बन जाता तबाही का केंद्र
बापा सीताराम फुल्की सेंटर के मालिक जयंती चावड़ा ने बताया कि अगर प्लेन कुछ सेकंड और आगे बढ़ता, तो वह सीधे रिहायशी इलाके पर गिरता। उन्होंने बताया, “हम सब किस्मत वाले हैं कि वो हॉस्टल से टकराया। अगर कुछ ही सेकंड और देर होती, तो ये प्लेन सीधे घनी आबादी में गिरता और तबाही का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। हादसे की खबर सुनते ही मुंबई में रहने वाले रिश्तेदारों के फोन आने लगे। हर कोई डरा हुआ था।”
घर से भागते हुए निकले लोग
चंद्रिका पटनी और विशाल पटनी उसी क्षेत्र में रहते हैं, जहां यह हादसा हुआ था। उन्होंने बताया कि जैसे ही तेज धमाका हुआ, सभी लोग घबरा गए और घर से बाहर भागे। उन्होंने कहा, “धमाके के बाद सब बाहर की ओर दौड़े। आसपास अफरा-तफरी मच गई थी। कुछ ही दूरी पर देखा कि एक प्लेन जमीन पर गिरा पड़ा है और चारों ओर आग की लपटें थीं। धुआं इतना था कि कुछ दिख नहीं रहा था। लोगों की चीखें और रोने की आवाजें दिल दहला देने वाली थीं।”
हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, दमकल विभाग और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। लेकिन तेज आग, धुआं और मलबा राहत कार्य को बाधित कर रहे थे।
पुलिस और बचावकर्मियों को पहले आग बुझाने में दो घंटे लगे, फिर शवों को निकाला जा सका। 241 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो चुकी थी।
स्थानीय लोग आज भी सदमे में, कहा- ये मंजर हम कभी नहीं भूल सकते
हादसे के बाद से इलाके के लोग मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं। कई प्रत्यक्षदर्शी आज भी उस पल को याद करके कांप जाते हैं। स्थानीय निवासी कमलभाई पटेल ने कहा, “हमने अपने जीवन में कई हादसे देखे हैं, लेकिन यह सबसे डरावना था। आज भी जब आंख बंद करते हैं तो वो आग, वो धुआं और वो चीखें याद आ जाती हैं।”
(अहमदाबाद से जितेंद्र शर्मा की रिपोर्ट)