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अत्यधिक गर्मी से नष्ट हो सकता है DNA… एअर इंडिया हादसे में शवों की पहचान बड़ी चुनौती, जानें कैसे लिए जा रहे सैंपल

अहमदाबाद में हाल ही में हुए एअर इंडिया विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हादसे के बाद विमान में भीषण आग लग गई थी, जिसकी वजह से अधिकतर शव बुरी तरह से जल चुके हैं। ऐसे में विशेषज्ञ केवल डीएनए जांच की मदद से ही शवों की शिनाख्त कर पा रहे हैं।

क्यों मुश्किल है डीएनए सैंपल निकालना?

जिन तापमानों पर विमान में आग लगी, वह लगभग 1000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। इतनी अधिक गर्मी में शरीर के ऊतक (टिश्यू) और खून में मौजूद डीएनए के अणु नष्ट हो जाते हैं। मांसपेशियों और खून से डीएनए निकालना संभव नहीं रह जाता है। ऐसे में फॉरेंसिक विशेषज्ञ हड्डियों और दांतों से डीएनए निकालने की कोशिश कर रहे हैं।

सैंपल में मिलावट की आशंका

विशेषज्ञों के अनुसार, इतनी भीषण दुर्घटना के बाद शरीर के अवशेष कई बार आपस में मिल जाते हैं। इससे सैंपल में मिलावट की आशंका बढ़ जाती है। इस वजह से डीएनए प्रोफाइलिंग बेहद संवेदनशील और जटिल प्रक्रिया बन जाती है। एक भी गलती मृतकों की पहचान को गड़बड़ा सकती है।

300 से ज्यादा सैंपल किए गए इकट्ठा

गुजरात सरकार के मुताबिक, अब तक लगभग 300 से अधिक डीएनए सैंपल इकट्ठा किए जा चुके हैं। इनमें मृतकों के परिजन और शवों के बचे हुए हिस्सों से नमूने लिए गए हैं। इनमें से 11 शवों की पहचान कर ली गई है, जिन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया है। बाकी सैंपल की प्रोफाइलिंग तेजी से चल रही है।

डीएनए जांच में बरती जा रही विशेष सावधानी

परिजनों के लिए यह वक्त बेहद मुश्किल भरा है क्योंकि उन्हें अपनों के शव का इंतजार करना पड़ रहा है। वैज्ञानिक अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि पहचान में किसी भी प्रकार की गलती न हो। डीएनए जांच के दौरान विशेष सावधानी बरती जा रही है ताकि क्रॉस-कॉन्टैमिनेशन न हो और शुद्धता बनी रहे।

हड्डियों और दांतों से निकाले जा रहे सैंपल

डीएनए जांच ही फिलहाल एकमात्र रास्ता बचा है। फॉरेंसिक टीमें हड्डियों और दांतों से माइक्रो सैंपल निकालकर हाई-एंड तकनीकों के जरिए डीएनए प्रोफाइल तैयार कर रही हैं। फिर इन प्रोफाइल्स का मिलान परिजनों के सैंपल से किया जाता है।

मिलान के लिए माता पिता का सैंपल बेस्ट

डॉक्टरों के अनुसार, पहचान के लिए माता-पिता का डीएनए सैंपल सबसे सही होता है। इसके लिए खून का सैंपल लिया जाता है। अगर माता-पिता मौजूद न हों, तो बच्चों का सैंपल लिया जा सकता है। यदि बच्चे भी नहीं हैं तो भाई-बहन का सैंपल लेकर भी मिलान किया जाता है। इसके बाद मशीनों और तकनीक की मदद से डीएनए को मिलाया जाता है। अगर मृतकों की संख्या ज्यादा हो तो मिलान की प्रक्रिया में ज्यादा समय लग सकता है।

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