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मणिपुर हिंसा में दर्ज 6 हजार एफआईआर और पुलिस एक्शन की एक-एक डिटेल दें

पीड़ितों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सरकार को लगाई फटकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए सोमवार को रिटायर्ड महिला जजों की एक समिति के गठन पर विचार किया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हमें इस मामले की एक-एक डिटेल चाहिए। इस मामले में आगे समय नहीं दिया जाएगा। मामले की सुनवाई मंगलवार दोपहर को फिर से की जाएगी।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मणिपुर की दो कुकी-जोमी महिलाओं की याचिका पर सुनवाई की। ये दो महिलाएं एक भीड़ की हैवानियत की शिकार होती वीडियो में देखी गई थीं। अदालत ने कहा कि हमें 6,000 प्राथमिकी को अलग-अलग करके परखने की जरूरत है कि कितनी जीरो पर हुई हैं, कितनी गिरफ्तारियां हुई हैं, कितने आरोपी हिरासत में हैं, 156(3) के तहत कितने बयान दर्ज किए गए हैं।

मणिपुर मामले की तुलना दूसरे राज्यों से करना गलत

सुनवाई के दौरान वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पश्चिम बंगाल में भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 9000 से अधिक मामले सामने आए हैं। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मणिपुर में जो कुछ हुआ, उसे हम यह कहकर उचित नहीं ठहरा सकते कि ऐसा कहीं और भी हुआ है। हम एक ऐसी चीज से निपट रहे हैं, जो अभूतपूर्व प्रकृति की है।

मणिपुर में ऐसी कई वारदातें हुई

सिर्फ तीन महिलाओं के वीडियो यौन उत्पीड़न का मामला नहीं है, ऐसी कई घटनाएं हुई हैं और यह उनसे अलग नहीं है। हमें बताएं कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले पर कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं?

सरकार के पास ही जानकारी नहीं

सभी तथ्य मीडिया में हैं। अजीब बात है कि मणिपुर सरकार के पास ही तथ्य नहीं हैं। लेकिन, अगर तथ्य आंशिक रूप से सच हैं। हम मिलीभगत की बात नहीं कर रहे हैं। लेकिन, अगर उन्हें पुलिस द्वारा भीड़ को सौंप दिया गया, तो यह निर्भया जैसा नहीं है?

हम पीड़ितों के दरवाजे तक पहुंचेंगे

केवल एसआईटी या सीबीआई को जांच सौंपना पर्याप्त नहीं होगा। हमें निर्देश जारी करने होंगे कि धारा 161 का बयान कैसे दर्ज किया जाए। 19 वर्षीय जिसने पिता और भाई आदि को खो दिया है, वह अपना बयान दर्ज करने के लिए कहां जाएगी? न्याय को उसके दरवाजे तक पहुंचना होगा।

लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा 

लोकसभा और राज्यसभा में मणिपुर की स्थिति पर चर्चा को लेकर विपक्ष के सदस्यों ने सोमवार को जमकर हंगामा किया। चार स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ मामले में बंगाल और दूसरे राज्यों का उदाहरण दिया जा रहा है, लेकिन ये मामला अलग है। कहीं दूसरी जगह का हवाला देकर मणिपुर के मामले को सही नहीं ठहराया जा सकता।

डीवाय चंद्रचूड़, सीजेआई

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