
राजीव सोनी। मिशन 2023 को लेकर इस बार भाजपा हाईकमान का मध्यप्रदेश पर ज्यादा फोकस है। सत्ता-संगठन द्वारा सभी 230 सीटों पर कराए गए आंतरिक सर्वे के हिसाब से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को विधायकों से वन-टू-वन चर्चा कर उन्हें जमीनी हकीकत से रूबरू करा दिया। सभी विधायकों को स्पष्ट शब्दों में अगले 4-6 महीने में स्थिति सुधारने की नसीहत दी गई है। शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन और उसके पहले भी सीएम दो किस्तों में विधायकों से रूबरू हो चुके हैं। बचे हुए करीब 15 मंत्री- विधायकों से उन्होंने अलग से कई बिंदुओं पर चर्चा कर चुनौतियों का अहसास करा दिया। बताया जाता है कि 50 से अधिक मंत्री-विधायकों के टिकटों पर संकट मंडरा रहा है, इनमें सिंधिया समर्थक मंत्री-विधायक भी शामिल हैं।
आलाकमान से मिली गाइडलाइन पर चर्चा
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से सत्ता-संगठन के विभिन्न मुद्दों पर मिली गाइडलाइन के हिसाब से मुख्यमंत्री चौहान ने मंत्री-विधायकों से रूबरू होकर चर्चा की। इस चर्चा में बुंदेलखंड, ग्वालियर चंबल, विंध्य और मालवा-निमाड़ अंचल के विधायक शामिल थे। इनमें से ज्यादातर वही विधायक हैं, जिनसे सीएम की वन-टू-वन चर्चा नहीं हो पाई थी। दोपहर में सीएम ने 12-15 विधायकों से चर्चा की। सभी विधायकों को 5-10 मिनट का टाइम दिया गया। कुछ मंत्रियों को भी बुलाया गया था, लेकिन उनसे रूबरू चर्चा नहीं हो पाई।
इन विधायकों की थी बारी
विधायकों में शैलेंद्र जैन,महेश राय, रमेश मेंदोला, प्रहलाद लोधी, विष्णु खत्री, कृष्णा गौर, कुंवर सिंह और केदार नाथ शुक्ला थे, जबकि मंत्रियों में विश्वास सारंग, गोविंद राजपूत, रामकिशोर कांवरे सहित सुरेश धाकड़ सहित कतिपय अन्य मंत्री भी थे। लेकिन, विधायक के तौर पर मंत्रियों की वन-टू-वन चर्चा स्थगित कर दी गई क्योंकि, आज सीएम ने मंत्रियों को विकास यात्रा के संबंध में अलग से बुलाया था।
नाराजगी दूर करने की समझाइश
सीएम ने खासतौर पर विधायकों को यही बताया कि सर्वे के हिसाब से क्षेत्र में आपकी स्थिति कहां कमजोर और कहां संतोषजनक है। विधायकों के निगेटिव पाइंट्स भी गिना दिए, जिन्हें समय रहते सुधारने को कहा गया है। आदिवासी, अनुसूचित जाति सहित अन्य समाजों से मेलजोल बढ़ाने को कहा है। सामाजिक संगठनों की भागीदारी सुनिश्चित करने के अलावा क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की सलाह भी दी गई है।
पिछली गलतियों से सबक
बताया जाता है कि 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान मैदानी तैयारियों और प्रत्याशी के स्तर पर जो कमियां रह गईं थीं, सत्ता-संगठन के स्तर पर उन्हें दुरुस्त करने की कवायद तेज की गई है। विधायकों को एंटी इन्कम्बेंसी दूर करने,क्षेत्र के विकास से जुड़े सड़क,पुल-पुलियों सहित अन्य अधूरे कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करने को कहा गया है। संत रविदास जयंती और आंबेडकर जयंती पर होने वाले महाकुंभ सहित संगठन के कार्यक्रमों की ब्रांडिंग जोर-शोर से करने की हिदायत दी गई है।
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