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कूनो नेशनल पार्क से निकले 5 चीते मुरैना पहुंचे, जौरा में सड़क पार करते देखे गए, दहशत में स्थानीय लोग

मुरैना। कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) से बाहर निकले 5 अफ्रीकी चीतों को मुरैना जिले के जौरा क्षेत्र में पगारा बांध के पास खुले में घूमते देखा गया। यह दृश्य रविवार सुबह 6:45 बजे सामने आया, जब स्थानीय लोग सैर पर निकले थे। चीतों को सड़क पार करते देख कुछ लोग दहशत में छिप गए, जबकि कुछ ने उनका वीडियो बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

कैलारस होते हुए जौरा पहुंचे चीते

डिप्टी रेंजर विनोद कुमार उपाध्याय ने जानकारी दी कि ये चीते कूनो नेशनल पार्क से कैलारस होते हुए मुरैना के जौरा क्षेत्र पहुंचे। “GPS कॉलर से मिली लोकेशन के आधार पर टीम तुरंत मौके पर पहुंची। चीतों को सुबह पगारा डैम की कोठी की घाटी पर देखा गया।” वन विभाग की टीम के साथ ‘चीता मित्र’ (स्थानीय प्रशिक्षित स्वयंसेवक) भी क्षेत्र में तैनात हैं, जो चीतों की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रहे हैं।

ग्रामीणों में दहशत, बकरियों का शिकार

वन अधिकारियों के अनुसार, चीतों ने खोखापुरा गांव के पास एक पहाड़ी के नीचे आराम किया और इस दौरान स्थानीय ग्रामीण विशाल पिता बद्री की चार बकरियों का शिकार कर लिया। उपाध्याय ने कहा, घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम और ट्रैकिंग दल वहां पहुंचे। चीतों की लोकेशन लगातार ट्रैक की जा रही है। इस घटना के बाद वन विभाग ने क्षेत्र के ग्रामीणों से सतर्क रहने और भीड़ ना लगाने की अपील की है।

चीते खुले में घूमते देखना आमतौर पर एक दुर्लभ अनुभव है। लेकिन जब यह अनुभव आबादी वाले इलाके में हो, तो उत्साह के साथ डर भी जुड़ जाता है। स्थानीय लोगों ने कहा कि ऐसा पहली बार देखा है, पर अब खेतों और बाहर निकलने से डर लग रहा है।

वन विभाग की कार्रवाई और निगरानी जारी

केएनपी के मंडलीय वन अधिकारी आर. तिरुकुरल ने कहा, चीतों की मूवमेंट पर समर्पित ट्रैकिंग टीमें नजर बनाए हुए हैं। अभी वे देवगढ़ के पास खोखापुरा गांव की ओर बढ़ रहे हैं। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि चीते सुरक्षित रहें और इंसानों से टकराव न हो।

नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे चीते

गौरतलब है कि भारत में करीब सात दशक पहले विलुप्त हो चुके चीतों को दोबारा बसाने के लिए कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को स्थानांतरित किया गया था। यह पहल भारत सरकार के ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत की गई थी। अब इन चीतों को जंगल के वातावरण में ढालने और उनकी सुरक्षित निगरानी की जिम्मेदारी वन विभाग और चीता मित्रों की है।

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