
भोपाल। शासकीय बंगलों के लिए सरकार के पूर्व और वर्तमान मंत्रियों के बीच चल रही जद्दोजहद को लेकर सरकार अब इनके लिए नया कैंपस बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए राजधानी के तुलसी नगर (1250 क्वार्टर) क्षेत्र में 60 हेक्टेयर भूखंड चिंहित किया गया है। जहां वर्तमान में तीन सौ के आसपास शासकीय आवास हैं। इन्हें तोड़कर नए सिरे से मंत्री, सांसदों, राज्यसभा सदस्यों के लिए बंगले और विधायकों के लिए फ्लैट बनाए जाएंगे। बंगलों का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर किया जाएगा। यह पूरा प्रोजेक्ट 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का होगा। दरअसल, राजधानी में रीडेंसीफिकेशन योजना के तरह इन बंगलों का निर्माण किया जाएगा। इस तरह बंगलों और फ्लैट निर्माण की राशि के बदले कंस्ट्रक्शन कंपनी को जमीन दी जाएगी। निर्माण की जिम्मेदारी मध्यप्रदेश प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल को दी गई है। मंडल जमीन, आवास का सर्वे कर रहा है। इसके साथ ही इन आवासों के लेआउट प्लान तैयार कर रहा है। इस प्लान को नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री के समक्ष रखा जाएगा। मंत्री स्वीकृति के बाद प्रस्ताव को मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति में रखा जाएगा। समिति की मंजूरी के बाद इस प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाया जा सकेगा। इस प्रक्रिया को लोकसभा चुनाव के बाद प्रारंभ किया जाएगा।
दिल्ली और मुंबई की तर्ज पर बंगलों की प्लानिंग
दिल्ली और मुंबई की तर्ज पर राजधानी में मंत्री के लिए नए बंगलों की प्लानिंग की जाएगी। इसमें भूखंडों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर गार्डन, लॉन, पार्किंग बनाई जाएगी। कैंपस के अंदर का क्षेत्र 40 हेक्टेयर के करीब होगा। बंगलों में सात से आठ कमरे और हॉल होंगे और 30 लोगों के बैठने के लिए कॉन्फे्रंस हॉल तथा साथ में मंत्री का कार्यालय भी होगा। इससे लगा हुआ सर्वेंट र्क्वाटर भी होगा। पूरा एरिया करीब पांच से सात हजार स्क्वायर फीट का होगा।
नए प्रोजेक्ट पर 2000 करोड़ की लागत
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक बंगलों के इस पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 2000 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
15 ब्लॉक में बनेंगे फ्लैट
विधायकों के लिए 230 फ्लैट बनाए जाएंगे। इसके लिए करीब 15 ब्लॉक होंगे। वर्तमान में विधायकों के लिए जो पारिवारिक परिसर हैं, उससे ज्यादा जगह और कमरे इन फ्लैट में होंगे। फ्लैट से जोड़ते हुए ही सर्वेंट स्क्वायर भी बनाए जाएंगे। सामने लॉन, पार्किंग, जिम, कैंटीन, होटल, मार्केट जैसी तमाम तरह की सुविधाएं कैंपस में ही दी जाएगी। कैंपस के बाहर सुरक्षा गार्डों के रहने, पुलिस चौकी की व्यवस्था की जाएगी। फ्लैट बनाने से पहले विधायकों की जरूरत और मांग को भी शामिल किया जाएगा।
पुराने आवास 60 साल पहले बने थे, ज्यादातर हो गए जर्जर
मंत्री और विधायकों के बंगलों के निर्माण का एक कांसेप्ट प्लान है। शासन स्तर पर ही मंत्रियों के बंगले बनाने की मांग आई थी। इसमें शासन स्तर पर ही निर्णय लेना है। दरअसल वहां जो आवास हैं वो 60 वर्ष से पहले से बने थे, अब जर्जर भी हो चुके हैं। इसके चलते रीडेंसीफिकेशन का प्लान है। चंद्रमौली शुक्ला, आयुक्त, मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल